(कारोल तार्लेन एक मजदूरनी, ट्रेड यूनियन कार्यकर्त्री और कवियत्री थीं… 2012 उनकी मृत्यु हुई… पहले भी उनकी कविता विकल्प पर प्रकाशित हुई और सराही गयी…)
हम एक नयी दुनिया को जन्म देंगे
पुरानी दुनिया की राख से
मैं एक सोन मछरी हूँ जिसे पकड़ा तुमने
ठण्डी बारिश के दौरान
सेवारवाले एक बड़े तालाब से.
मेरे माँस ने देखे धरती के चारों कोने.
मैं रसीली हूँ.
मेरे शल्क चमकते हैं
तुम्हारी पनीली भूरी आँखों में.
मैं मुस्तैदी से सजाई हुई नुमाइशी चीज हूँ
जो तुम्हारे फोन सुनती है,
टाइप करती है तुम्हारे टैक्स बचत की रिपोर्ट
शर्दियों की यात्रा.
स्वागत करती है तुम्हारे ग्राहकों का
गुलाबी मुस्कान से.
जब मैं बैठती हूँ गद्देदार
चक्करदार बिन हत्थेवाली कुर्सी पर,
सपने देखती हूँ खूबसूरत विदेशी जगहों के,
टहलती हुई विशाल सजे-धजे पार्कों में.
इसी बीच मैं देखती हूँ अपनेआप को
झुकी कमर बूढ़ी, लिपटा स्कार्फ
मेरी पतली गर्दन पर,
सुलगती राख को कुरेदते हुए,
लेकिन फिर मैं देखती हूँ
कि मैं चौड़े कुल्हेवाली, लम्बी, मजबूत औरत
दोनों पैर फैलाये,
सन्तान जन रही हूँ.
(अनुवाद — दिगम्बर)
टिप्पणियाँ
Bahut Bahut Dhanyabad
2017-01-19 20:42 GMT+05:45 विकल्प :
> विकल्प posted: ” हम एक नयी दुनिया को जन्म देंगे पुरानी दुनिया की राख से
> मैं एक सोन मछरी हूँ जिसे पकड़ा तुमने ठण्डी बारिश के दौरान सेवारवाले एक बड़े
> तालाब से. मेरे माँस ने देखे धरती के चारों कोने. मैं रसीली हूँ. मेरे शल्क
> चमकते हैं ”
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