खुद को कुछ सनकी और तकलीफदेह अहसासों से बचाने के लिए.
जो ख़यालात और इलहाम मेरे दिमाग में उमड़ते-घुमड़ते हैं उनको तरतीब देने की कोशिश में ताकि उनको बेहतर ढंग से समझा जाय.
कोई ऐसी बात कहने के लिए जो कहने लायक हो.
लफ़्ज़ों के सिवा किसी भी दूसरी चीज का सहारा लिये बगैर कोई ऐसी चीज बनाने के लिए जो खूबसूरत और टिकाऊ हो.
क्योंकि इसमें मजा आता है.
क्योंकि सिर्फ यही काम है जिसे मैं कमोबेश बेहतर तरीके से करना जानता हूँ.
क्योंकि ये मुझे किसी नाकाबिले-बयान गुनाह से आजाद कर देता है.
क्योंकि इस काम का मैं आदी हो गया हूँ और क्योंकि मेरे लिए ये किसी बुराई से, किसी रोजमर्रे के काम से कहीं बेहतर है.
ताकि मेरी जिन्दगी का तजुर्बा, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, कहीं खो न जाए.
क्योंकि अपने टाईपराइटर और सादा कागज़ के आगे मेरे अकेले होने की हकीक़त मुझे पूरी तरह आजाद और ताकतवर होने का भरम देती है.
एक किताब की शक्ल में, एक आवाज़ की तरह जिसे कोई सुनने की जहमत मोल ले सके, मरने के बाद भी जिन्दगी को कायम रखने के लिए.
(रचनाकार– जूलियो रैमन रिबेरो, लातिन अमरीकी लेखक, 1929-94. अनुवाद– दिगम्बर)
Comments
Bahut sundar subicharit kabita ke liye Bahut Bahut Dhanyabad.
Jaya Karki
Nepal
2016-05-08 15:57 GMT+05:45 “विकल्प” :
> विकल्प posted: ” खुद को कुछ सनकी और तकलीफदेह अहसासों से बचाने के लिए. जो
> ख़यालात और इलहाम मेरे दिमाग में उमड़ते-घुमड़ते हैं उनको तरतीब देने की कोशिश
> में ताकि उनको बेहतर ढंग से समझा जाय. कोई ऐसी बात कहने के लिए जो कहने लायक
> हो. लफ़्ज़ों के सिवा किसी भी दू”
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